One day trip to Ayodhya

वैसे तो हम लोग हर महीने कहीं ना कहीं घूमने निकल जाते थे पर पिछले साल लॉकडाउन के कारण हमारा घूमने का पहिया जैसे थम सा गया था| मार्च के महीने में हमको  प्रयागराज में एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने का अवसर मिला| समारोह 9 तारीख को था तो हम लोगों ने डिसाइड किया कि 8 मार्च को जबलपुर से मैहर दर्शन करते हुए प्रयागराज पहुंच जाएंगे| तब तक हमारे मन में अयोध्या जाने का कोई विचार नहीं था|

मेरे घर से प्रयागराज की दूरी लगभग 367 किलोमीटर है, जिसको तय करने में मुझको सामान्यतः 5:00 से 5:30 घंटे का समय लगता है| 8 मार्च को यात्रा की तैयारी करते समय मैंने अपनी मां से पूछा, चलना है क्या? और जैसे मैंने सोचा था उन्होंने तुरंत हामी भर दी 🙂 इस लास्ट मिनिट चेंज के कारण, हम तय समय से 3 घंटा देरी से निकले|  इस देरी के चलते, मैंने मैहर में  शारदा मां के दर्शन करने का प्लान छोड़ दिया| रास्ते में बातचीत करते समय मेरी मां ने मुझसे पूछा, अयोध्या, प्रयागराज से कितना दूर है|  मैं समझ गया, अयोध्या जाने का मन कर रहा है, तो मैंने भी उनको अनमने ढंग से बोला कि अगर समय मिला तो प्लान कर लेंगे, बैक मिरर से देखा तो मम्मी पापा मंद मंद  मुस्कुरा रहे थे  |

शाम को 4:00 बजे के करीब हम यूपी मध्य प्रदेश के बॉर्डर स्थित (चाक घाट) बाबा का ढाबा में चाय के लिए रुके | कड़क चाय के साथ गरम-गरम समोसे और चाकघाट के प्रसिद्ध बड़े गुलाब जामुन ने तो शाम की चाय में चार चांद लगा दिए| शाम के नाश्ते का आनंद लेने के बाद हम वापस प्रयागराज की ओर चल दिए और तकरीबन शाम  के 6:00 बजे हम प्रयागराज पहुंच  गए|


9 मार्च का पूरा दिन हम अपने पारिवारिक समारोह में व्यस्त रहें,जब समारोह समाप्ति की ओर था तो मेरी मां ने मुझसे पूछा अयोध्या चलना है क्या, मैंने उनको बोला कल सवेरे 6:00 बजे तैयार रहना  हम लोग अयोध्या चलेंगे| गूगल बाबा ने बताया कि प्रयागराज से अयोध्या की दूरी लगभग 167 किलोमीटर है, जिसको तय करने में 3 घंटा 45 मिनट लगता है | मैंने थोड़ा गूगल में अयोध्या के बारे में रिसर्च किया और जो स्थान हमको घूमने थे, उनकी लिस्ट बना ली|

प्रयागराज से अयोध्या की ओर प्रस्थान


सुबह हमारे ससुर जी ने हमको मनाने की काफी कोशिश की कि हम नाश्ता करके  अयोध्या जाए, पर आपको पता ही है कि एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दिया तो मैं खुद की भी नहीं सुनता| हम अपने प्लान के अनुसार सुबह तैयार होकर ठीक 6:00 बजे प्रयागराज से अयोध्या की ओर निकल पड़े| मैंने अयोध्या जाने के लिए, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर वाला रूट ले लिया| हमारा प्लान यह  था, कि हम  सुबह 9:00 बजे तक अयोध्या पहुंच जाएं| हल्की सी गुलाबी ठंडी और बढ़िया खाली रोड, एक  ड्राइवर को और क्या चाहिए, हमको पता ही नहीं चला कि कब हम लोग प्रतापगढ़  पहुंच गए| मम्मी पापा के चाय का वक्त हो रहा था तो हमने एक अच्छा सा ढाबा देखकर गाड़ी  किनारे लगाई और  कुल्लड़ वाली चाय के साथ गरमा गरम कचौरी का आनंद लिया | प्रयागराज से अयोध्या का पूरा रास्ता लगभग अच्छा ही था और हम लगभग  सुबह के 9 बजे के आसपास अयोध्या पहुंच गए |

अयोध्या पहुंचते ही हमारे पीछे कई दलाल किस्म के लोग लग गए, जो हमको अयोध्या दर्शन का ऑफर देने लगे| मैंने सभी को कठोरता पूर्वक मना कर दिया, फिर आगे जाकर सोचा कहां भटकेंगे,तो एक  लड़के को अपने साथ गाड़ी में बैठा लिया| उस लड़के ने हम को सबसे पहले राम जानकी  ट्रस्ट का मंदिर देखने को बोला पर हमारे लिस्ट में रामलला का दर्शन प्रथम वरीयता में था, तो  उसके पास हमारी बात मानने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था| रामलला से लगभग 1 किलोमीटर पहले हमने एक पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी  कर दी| उस लड़के ने हमको बताया कि रामलला दरबार में  बैग, पर्स,  बेल्ट एवं लेदर का सामान वर्जित है, तो हमने सारा सामान अपनी गाड़ी में रख दिया और कुछ नगद राशि अपने पास रख  ली|

9:30 AM: राम जन्म भूमि  एवं रामलला का दर्शन (Open all days: 7 am to 11 am and 2 pm to 6 pm)

RamJanam

गर्मी थोड़ी बढ़ गई थी तो मैंने मम्मी पापा के लिए एक रिक्शा  ₹10 प्रति व्यक्ति पार्किंग से रामलला तक कर लिया| मैं और वह  लड़का पैदल ही जन्मभूमि के लिए निकल पडे| जन्मभूमि के समीप ही मैंने एक लॉकर  ₹20 देकर किराए पर ले लिया जिस पर मैंने अपनी घड़ी और मोबाइल रख दिया एवं उसी दुकान पर अपने जूते चप्पल भी रखवा दिए| रामलला के दर्शन करने हेतु आपको 8 से 10 चेकप्वाइंट से होकर गुजरना पड़ता है,प्रथम चेक प्वाइंट पर ही महिलाओं एवं पुरुषों की लाइन अलग कर दी गई, वहां पर हमारी काफी सघन तलाशी ली गई| जो  लोग गुटखा, बीड़ी, प्रसाद, पानी एवं पेन आदि लेकर चल रहे थे, सुरक्षाकर्मियों ने उन सभी को बाहर ही डस्टबिन में रखवा दिया| रामलला के दरबार में सुरक्षा के इंतजाम काफी तगड़े हैं, हम सारे चेकप्वाइंट से जांच करवा कर रामलला के करीब पहुंच गए | सुबह के समय  भीड़ काफी कम थी तो हमें ज्यादा समय नहीं लगा|


राम जन्मभूमि मंदिर पर भगवान राम बाल्यावस्था रूप में  विराजमान हैं| हमने जी भर के रामलला के दर्शन किए, पंडित जी से आरती और प्रसाद लेकर आगे बढ़ गए|

10:15 AM : सरयू नदी मे स्नान और गौदान

रामलला के दर्शन पश्चात हम लोगों ने हनुमानगढ़ी जाने का सोचा पर हमारे साथ आए हुए लड़के ने हमको यह बताया की हनुमानगढ़ी में काफी खड़ी चढ़ाई है और मम्मी पापा वहां चल नहीं पाएंगे | यह सुनकर हमने हनुमानगढ़ी जाने का विचार त्याग दिया| वह लड़का हमको राम जानकी  ट्रस्ट के मंदिर में जाने को बोलने लगा, पर मम्मी  ने यह बोला कि रामलला के दर्शन के बाद सरयू नदी पर नहाना जरूरी होता है | मुझे यह लॉजिक  कुछ समझ नहीं आया  पर इतना समझा की इन लोगों की इच्छा सरयू नदी में स्नान करने की हो रही है|  हम लोग राम जन्मभूमि से निकलकर पास ही स्थित सरयू नदी के घाट पर पहुंच गए |घाट पर पहुंच कर देखा तो पंडों ने साड़ियों से घाट की ओर जाने का रास्ता बनाया हुआ है और आप जिस पंडे की घाट में नहाएंगे वहां पर आपको  दान दक्षिणा आदि कार्य करना पड़ेगा| खैर हम सभी उस लड़के के बताए हुए पंडे की घाट पर गए मैंने तो वहां पर  कौआ  स्नान किया, पर मम्मी पापा अपने कपड़े ले गए थे तो उन्होंने बढ़िया से स्नान किया | सरयू नदी में अच्छा  और साफ पानी था  यह देख कर बहुत अच्छा लगा|

sarayu
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स्नान करने के पश्चात उस घाट के पंडित जी ने, मम्मी पापा से घाट पर स्थित बछिया के द्वारा गोदान की पूजा कराई, पंडित जी दक्षिणा में  ₹1000 एवं खाने के लिए ₹500 दान दिया| उस पंडित जी से बात करने पर पता चला कि यह घाट ठेके पर दिए जाते हैं और उनका गुजर  बसर ऐसे ही होता है|

11:25 AM: राम जानकी सेवा संस्थान ट्रस्ट मंदिर

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यह मंदिर मेरी अयोध्या दर्शन की लिस्ट में नहीं था, पर उस लड़के की जिद के कारण हमको इस मंदिर जाना पड़ा| इस मंदिर को राम जानकी सेवा संस्थान ट्रस्ट चलाता है और उनके हिसाब से गरीब बच्चों का हॉस्टल,उनके लिए खाना आदि का प्रबंध करता है| मंदिर में दर्शन कराने के पश्चात वह लड़का हमको उनके महंत जी के पास ले गया| महंत जी के शिष्य ने हमें ट्रस्ट के कार्यक्रम की जानकारी दी और अपनी मर्जी के अनुसार जितना डोनेशन करना चाहे ऐसा बोला| मेरी मम्मी ने उनको ₹2500  दिए, तब शिष्य ने  उन्हें और डोनेशन  देने को बोला| मैंने हंसकर हाथ जोड़ दिए और उस शिष्य से कहा अपनी बात से मत मुकरिए|

शिष्य के कहे अनुसार,ट्रस्ट के महंत जी केवल फल ही खाते थे तो हमने अपनी गाड़ी से जो भी फल हम प्रयागराज से लेकर चले थे, उनको खाने के लिए दे दिए| मंदिर में दान दर्शन के पश्चात मुझे ऐसा लगा जैसे  उस लड़के का कार्य सिद्ध हो गया और वह हमारे साथ आगे जाने के लिए  इच्छुक नहीं था,पर मैं कहां मानने वाला था, उसको कार में बिठाकर कनक मंदिर तक छोड़ने  को कहा|

11:50 AM: कनक भवन (Open all days: 9 am to 12 am and 4.30 pm to 8 pm)

हम लोगों ने अपनी गाड़ी, कनक  भवन के थोड़ा पहले एक गली में रास्ते के किनारे  पार्क कर दी|  कनक भवन पहुंचकर, हमने उस लड़के को ₹200 दिए और वहां से उसको विदा कर दिया,हालांकि उस लड़की की डिमांड  थोड़ा ज्यादा  ही थी| हम जब कनक भवन पहुंचे तो वहां आरती चल रही थी और उसके बाद मंदिर के बंद होने का टाइम हो गया था| हम बहुत ही लकी थे कि हम समय से कनक भवन पहुंच गए|  कनक भवन के बारे में ऐसा मानना है कि जब राजा राम अपनी दुल्हन राजा जनक की बेटी जानकी के साथ घर  पहुंचे थे तो  माता कैकेयी ने जानकी को यह महल मुंह दिखाई में दिया था| कनक भवन में भगवान राम और उनके तीन भाइयों के साथ देवी सीता की सुंदर प्रतिमाएं आँखों को बहुत सुकून देती हैं|  वर्तमान में  कनक भवन की देखरेख महाराजा टीकमगढ़ के द्वारा  स्थापित ट्रस्ट के द्वारा  होती है| आरती खत्म होने के बाद हमने मंदिर में दर्शन किए और प्रसाद लेकर बाहर आ गए| 

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12:10 PM: भोजन का समय

पापा के दवाई का टाइम हो  चुका था और हम सभी को काफी भूख भी लग रही थी| कनक भवन के सामने स्थित दुकानदार ने हमको वहीं पास में स्थित एक छोटा सा रेस्टोरेंट, जिसका नाम “मां की रसोई” वहां पर खाने को बोला|  उस रेस्टोरेंट में मुश्किल से 6 या 7 टेबल  होगी, हम जब पहुंचे तो सब  पैक थी |थोड़े इंतजार के बाद हमारा नंबर आ गया, इस रेस्टोरेंट में केवल ₹60 की अनलिमिटेड थाली थी |  गरम-गरम रोटियां, दाल और बढ़िया सब्जी,  ऊपर से अनलिमिटेड, हम लोगों ने चख  के खाना खाया| खाते वक्त मेरा ध्यान हनुमानगढ़ी की ओर था, मैंने अपने मम्मी पापा से बोला खाने के बाद वही चलते हैं, आप लोग नीचे  रुक जाना, मैं दर्शन करके आ जाऊंगा | हम जब हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे , कनक भवन के थोड़ा आगे हमने एक कैंटीन देखी  जो कनक भवन ट्रस्ट द्वारा  चलाया जा रहा था| यहां पर बिना लहसुन प्याज का खाना काफी कम कीमत पर दिया जाता है| अगर आप चाहें यहां पर भी खाना खा सकते हैं| आप जैसे ही कनक भवन से निकलेंगे, दाहिने साइड में मुश्किल से  50 कदम  की दूरी पर यह रसोई स्थित है |

12:50 PM: हनुमान गढ़ी मंदिर (Open all days: 6 am to 9 pm)

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ऐसा माना जाता है कि जब बच्चा अपनी मां की गोद में बैठता है तो वह सबसे सुरक्षित और आत्मविश्वासी होता है। हनुमान गढ़ी मंदिर में यही ताकत दिखती है| यह भगवान हनुमान का सबसे शक्तिशाली आसन माना जाता है क्योंकि वह यहां अपनी मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं |  किंवदंती है कि भगवान हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और जन्मभूमि या रामकोट की रक्षा करते थे। भक्तों का मानना ​​है कि इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं | 

मैं अपने मम्मी पापा को मंदिर के नीचे ही बैठा कर, लड्डुओं का प्रसाद लेकर ऊपर मंदिर की ओर चल पड़ा| आपकी जानकारी के लिए बता दूं, लड्डू का प्रसाद लेने का मुख्य उद्देश्य भगवान को चढ़ाने से ज्यादा, मम्मी पापा को बैठने का इंतजाम हो जाए उसके लिए था 🙂

ऊपर मंदिर पहुंचकर ऐसा प्रतीत हुआ की मंदिर की सीढ़ियां पर चलना तो घर की सीढ़ियों से भी आसान है| मैंने बजरंगबली के दर्शन किए और परिक्रमा करने के बाद मंदिर से नीचे उतर कर अपने मम्मी पापा को बोला, ऊपर चढ़ने पर कोई परेशानी नहीं होगी मैं नीचे सामान के पास बैठता हूं आप लोग आराम से दर्शन करके आ जाओ|  आप यकीन नहीं मानेंगे कि मम्मी पापा ने भी बड़े आराम से  दर्शन कर लिए| मुझे ऐसा लगा कि हनुमान जी भी अपने भक्तों को बिना दर्शन दिए नहीं मानने वाले थे|अरे हां एक बात तो बताना ही भूल गया, हनुमानगढ़ी के पास से  पेड़ा खरीदना नहीं भूलिएगा |

2:00 PM:  वाल्मीकि रामायण भवन(Open all days: 6 am to 9 pm) 

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हनुमान गढ़ी से हम सीधे वाल्मीकि रामायण  भवन की ओर चल  दिए| यह स्थान वाल्मीकि रामायण के लिए प्रसिद्ध है जिसे यहां संगमरमर पर खूबसूरती से उकेरा गया है। जब एक भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह राम नाम बैंक में कई हजार बार लिखी गई 'सीता राम' से भरी प्रतियां जमा करने के लिए यहां आता है। वाल्मीकि रामायण  भवन में, हम कुछ समय व्यतीत करके  अयोध्या के अपने आखिरी पड़ाव गुप्तार घाट की ओर चल पड़े| 

3:00 PM:  गुप्तार घाट  

प्रयागराज वापस जाते समय, हम लोग गुप्तार घाट पर रुकें, ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने जल समाधि ली थी। यहीं पर भगवान राम ने अपनी अंतिम डुबकी लगाई और फिर कभी मानव रूप में नहीं देखे गए। क्योंकि धूप कुछ ज्यादा थी तो हम लोगों ने नाव की सवारी नहीं, पर आप यह आनंद उठा सकते हैं| 

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3:15 PM:  प्रयागराज वापसी

मम्मी पापा के चेहरे पर थकान  साफ दिख रही थी, तो मैंने घाट में ज्यादा समय व्यतीत न करते हुए प्रयागराज वापसी का  प्लान कर लिया| बीच रास्ते पर  मैंने एक पान की दुकान से  दो बोतल पानी और दो मीठे पान पैक करा लिए ,पान किसलिए, अरे भाई गाड़ी जो चलानी थी| शाम को 5:00 बजे के करीब  हम  एक  ढाबे पर रुके और वहां पर बढ़िया चाय पी और प्रयागराज की ओर वापस चल दिए| वापसी के समय मेरे मन में एक अजीब सी शांति और संतोष का भाव था यह इसलिए नहीं था कि  मुझे रामलला के दर्शन हुए, इसलिए कि मेरी मम्मी पापा ने रामलला  के दर्शन कर लिए |

ध्यान देने योग्य कुछ बातें

  1. अयोध्या में मंदिरों के अंदर चमड़े से बनी किसी सामान को ले जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए चमड़े के पर्स, बैग और बेल्ट को पहले से ही उतार कर  अलग रख ले | 

  2. दलालों, भिखारियों और बंदरों से सावधान रहें|

  3. राम जन्मभूमि के अंदर प्रसाद, बैग, मोबाइल आदि ले जाने की अनुमति नहीं है |

  4. सभी मंदिरों के खुलने और बंद होने के समय का विशेष ध्यान रखें 

  5. कोशिश करिए कि ऐसे जूते चप्पल पहने जिसको पहनने और उतारने में ज्यादा समय ना लगे|

4 thoughts on “One day trip to Ayodhya

  1. सारा व्रतांत पढ़ने पर ऐसा लगा की मैंने भी अयोध्या के आपके साथ दर्शन कर लिए👌

  2. आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करने के साथ साथ मातृ पितृ सेवा का अवसर भी।
    विस्तृत, रोचक एवं ज्ञानवर्धक लेख।
    अयोध्या की यात्रा करने वालों के लिए मार्गदर्शक।
    उत्तम जानकारी देने के लिए बधाई।

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